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पान में भी है औषधीय गुण

भारत में पान का महत्व

पान भारत में लंबे समय से दैनिक आहार का एक हिस्सा है। यह दिनचर्या  का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका उपयोग मुखगुहा के कलेद को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह मुख  गुहा से आने वाली दुर्गंध के प्रबंधन में भी सहायक है।

इसे  संस्कृत में ताम्बूल कहा जाता है। पान का दूसरा नाम नाग वल्ली है। यह सांप की तरह फैलने वाले इसके चरित्र से आया है। तेलुगु में इसे तमाल पाकु कहा जाता है। इसे फ़ारसी भाषा में तम्बूल कहा जाता है।

पान का स्वरूप:

पान का पौधा एक लता है। यह एक बारहमासी पौधा है। इसके पत्ते दिल के आकार के होते हैं। लेकिन गिलोय से पतले और गहरे रंग के होते हैं। इसके फूल का मौसम बसंत है और फल गर्मियों में आते हैं।

इसकी खेती विशेष रूप से बिहार, बंगाल, उड़ीसा आदि में की जाती है। यह मलेशिया का मूल निवासी हो सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार गुण

आयुर्वेद के अनुसार इसमें निम्नलिखित गुण हैं।

गुण- लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण

रस- कटु, तिक्त

वीर्य-कटु 

विपाक-उष्ण

इसके प्रभाव:-

पाचन तंत्र-

इसमें दीपन, पाचन और लाला प्रसेक जनन (लार पैदा करने वाले) गुण हैं।

पान हृदय के लिए फायदेमंद है। यह रक्तचाप को कम करता है।

श्वसन प्रणाली:-

इसमें कफघ्न (एक्सपेक्टरेंट) गुण होते हैं।

इसका ज्वरनाशक प्रभाव भी होता है।

साँस की बीमारियों में उपयोगिता

पान के पत्ते का रस फेफड़ों को बल प्रदान करता है।अस्थमा के रोगियों की फेफड़े की जकड़ाहट को दूर करने में यह काफ़ी मददगार है।यही कारण है की इसका प्रयोग नारदीय लक्ष्मी विलास रस के अनुपान के रूप में किया जाता है।

कैसे प्रयोग करें पान के दो माध्यम आकार के पत्ते लेकर उनका काक (चटनी) बना लेना चाहिए। इस  कल्क को एक कडची में लेकर हल्का गुनगुना करने के बाद इसमें शहद मिला कर रोगी को चाटने के लिए देना चाहिए।

पान सेवन  का सही समय।

भोजन के बाद जो कफ बढ़ता है उसके प्रतिकार करने के लिए भी पान के सेवन का विधान है। योग रत्नाकर के अनुसार पान का सेवन सो कर उठने के बाद, स्नान, भोजन आदि करने के बाद और विद्वान लोगों की सभा में जाने से पहले करना चाहिए। पान के कुल तेरह 13 गुणों का वर्णन योग रत्नाकर में मिलता है। 

पान  खाने का सही तरीक़ा 

खाने के लिए प्रयोग करने से पहले पान के पत्ते के अग्र भाग को निकाल देना चाहिए। ऐसा वर्णन है की पान के पत्ते के अग्र भाग के सेवन करने से अग्नि का नाश होता है। पान के मध्य भाग का सेवन आयु का नाश करता है।इसकी सिराओं के सेवन से बुद्धि नाश होना बताया गया है। इसलिए पान खाने से पहले इसका अग्र भाग, मूल भाग और मध्य भाग निकाल देना चाहिए।

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