सुश्रुत संहिता में जल

AIAPGET की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए विशेष इस लेख में पढ़िए सुश्रुत संहिता के अनुसार जल का वर्णन।  

Water in ayurved is of only two types according to sushrut sanhita. When it comes from sky it is tasteless. Acharya Sushrut called this heavenly water as “antariksh” jal and considered it as “ekant pathya”.

Water in Ayurved according to Sushrut

जल ले दो भेद होते है।

आंतरिक्ष और भौम।


सुश्रुत संहिता सूत्र-36 मिश्रक अध्याय

सुश्रुत संहिता आयुर्वेद वृहत त्रयी का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। शल्य प्रधान इस संहिता में अनेकों महत्वपूर्ण सिद्धांत ऐसे हैं जो परीक्षा और चिकित्सा दोनो दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

इस बार हम सूत्र स्थान के 36 वें  अध्याय का विश्लेषण करेंगे इस आलेख में।


गर्भ में किस अंग की उत्पत्ति पहले हुई

गर्भ में कौन सा अंग पहले उत्पन्न हुआ इस विषय में एक संभाषा का वर्णन मिलता है जिसमें अनेक आचार्यों ने तर्क सहित अपने मत रखे। यह दर्शाता है की उस समय हमारा चिकित्सा विज्ञान कितना उन्नत और समावेशी था।

गर्भ में किस अंग की उत्पत्ति पहले हुई इस संदर्भ में चरक संहिता के शारीर स्थान के 6 वें अध्याय में एक संभाषा का वर्णन मिलता है।

इस संदर्भ अग्निवेश द्वारा आचार्य आत्रेय से प्रश्न किए गए जिनके उत्तर में आचार्य आत्रेय ने विभिन्न आचार्यों के मत उद्धृत किए है।

इस स्थान पर आचार्य अग्निवेश ने कुल 9 प्रश्न पूछे है।


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इस बार का विषय - आयुर्वेद का इतिहास 

इस Brain Booster Quiz का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद के विभिन्न विषयों के ज्ञान को तार्किक रूप से प्रस्तुत करना है। यह क्विज़ उन विद्यार्थियों के लिए अधिक लाभकारी है जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे है।


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