इम्यूनिटी बढ़ाने के आयुर्वेदिक तरीक़े

कैसे बढ़ाएँ इम्यूनिटीjiyofit-इम्यूनिटी

आज की भागदौड़ की ज़िंदगी में इम्यूनिटी का विषय बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। हमारी दिनचर्या का एक बड़ा हिस्सा भाग दौड़ में गुजरता है जिसके कारण अपने शरीर पर ध्यान देने का समय हमारी प्राथमिकता में नहीं होता है।

प्रातः काल सूर्योदय के साथ उठें अच्छी इम्यूनिटी के लिए :

सुबह जल्दी उठने से शारीर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।आयुर्वेद ब्रह्म मुहूर्त में उठने की बात कहता है। विशेषज्ञ बताते हैं की ब्रह्म मुहूर्त में उठने से मनुष्य के अंदर होर्मोन का सामान्य लेवल बना रहता है। लेकिन सुबह उठते समय एक बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए की रात में किया हुआ भोजन सही तरह से पच गया है या नहीं। इसका indirect मतलब ये हुआ की रात में पर्याप्त नींद लेना ज़रूरी है।यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity)बढ़ाने के लिए काफ़ी कारगर होता है।

30 मिनट यथा योग्य व्यायाम उसके बाद प्राणायाम करने से भी इम्यूनिटी बढ़ती है 

प्रति दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम अवश्य करना चाहिए। व्यायाम के अनेक लाभ बताए गए है। जिनके बारे में अलग से चर्च की गयी है। वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए ऐसे व्यायाम जो श्वसन तंत्र को मज़बूत करते हैं उनका अभ्यास करना चाहिए।

स्नान के बाद साफ़ उँगली से नाक के भीतर सरसों/ तिल/नारियल में से जो उपलब्ध हो किसी एक तेल को लगाएँ फिर पूरी नाक पर पलकों पर व होंठ के चारों ओर लगाएँ। यह एक प्रतिरोधक परत की तरह काम करेगा।

इस प्रकार का तेल का प्रयोग एक तरह से बायो मास्क का कार्य करता है।तेल की परत में चिपक कर कई प्रकार के हानिकारक कण फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाते है।इससे नाक के श्लेश्मिक कला (mucus membrane ) भी मज़बूत होती है।

नीम पत्र, हरी गिलोय[1], कच्चा आँवला में से जो उपलब्ध हो उसका सेवन करें।

लौंग, सोंठ, काली मिर्च, कपूर, इलाइची, अजवाइन 1-1 ग्राम मिला कर कपड़े की पोटली बना कर पास में रखें और समय समय पर सूंघे।

नकारात्मक  खबरों से  बचें। बासी भोजन ना करें। बिना हाथ धुले नाक, आँख, मुँह को स्पर्श ना करें। बिना चिकित्सकीय सलाह के किसी औषधि का प्रयोग न करें। भोजन में भारी, तले भुने एवं चटपटे पदार्थों का सेवन ना करे।

काढ़ा कैसे बनाएँ

धनिया- १०० ग्राम

तुलसी-१०० ग्राम

गिलोय-१०० ग्राम

हल्दी-१०० ग्राम

काली मरिच -५० ग्राम

लौंग-१० ग्राम

दालचीनी-२० ग्राम

सोंठ-५० ग्राम

इसमें यदि उपलब्ध हो तो वासा-१०० ग्राम, मुलेठी-५० ग्राम, कंटकारी-१०० ग्राम भी मिलाया जा सकता है।

१० ग्राम काढ़ा २५० m.l. पानी में चौथाई रहने तक उबालें। शेष भाग को छान कर २० m.l. प्रति वयस्क व्यक्ति की दर से सुबह शाम भोजन के पश्चात प्रयोग करें। काढ़ा ताज़ा ही प्रयोग करें।

 

घर से निकलते समय अणु तेल, षड बिंदु तेल या साधारण तिल का तेल नाक में दोनो छिद्रों में डालें।

अजवाइन की भाप हमारे शवसन तंत्र ( respiratory system ) स्वस्थ रखने में काफ़ी मददगार होती है। अजवाइन बड़ी आसानी से हमारी रसोई में उपलब्ध होती  ही है।इसकी भाप फेफड़ों को मज़बूत करती है और इसके साथ इंफ़ेक्शन से भी बजाती है।

कवल या गरारे करने के फ़ायदे :-

सुबह शाम कम से कम दो बार २५० मिली गरम पानी में १ चम्मच हल्दी और १ चम्मच सेंधा नमक डाल कर कवल करना चाहिए।

धूपन :

घर में कम से कम एक बार पीली सरसों,नीम पत्र, हल्दी, सेंधा नमक, गुग्गलु, कपूर देसी घी को मिला कर धूपन कर्म करना विसंक्रमण हेतु लाभकारी होता है।

आहार सम्बन्धी सामान्य परामर्श 

यथासंभव लघु एवं सुपाच्य भोजन करना चाहिए।

भोजन[2] सदैव ताज़ा ही करें बासी भोजन पचने में गुरु होता है।

ज़्यादा देर ख़ाली पेट नहीं रहना चाहिए।

पहले का भोजन पच जाने पर ही भोजन करे।

पर्याप्त मात्रा में गुनगुने पानी का सेवन करें।

नीबू का सेवन समुचित मात्रा में करे।

रात का भोजन हल्का ही करें।

हल्दी युक्त दूध का सेवन दिन में कम से कम एक बार अवश्य करे।

योगासन एवं व्यायाम 

शारीरिक अवस्था के अनुकूल कम से कम ३० मिनट योगासन एवं प्राणायाम नित्या करना चाहिए।

श्वास सम्बन्धी आसान जैसे गोमुख़ासन,भुजंगासन,धनुरासन,पाद हस्तासन,मकरासन एवं यथासंभव सूर्या नमस्कार का समावेश करे।

भस्त्रिका,कपाल भाति एवं भ्रामरी प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे।

विहार सम्बन्धी परामर्श  

समुचित मात्रा में नीद ले।

नकारात्मक खबरों से बचे।

अच्छे साहित्य का अध्ययन करें।

स्वजनो के नित्य सम्पर्क में रहे एवं कुशल क्षेम का आदान प्रदान करते रहें।

Read in English

In ayurved immunity is explained with terms such as vyadhikshamatva, bal,oja  prakrit shleshma etc. According to Acharya charak व्याधिक्षमत्वं नाम व्याधि बल विरोधकत्वम” . Which means “vyadhikshamatva” is that property of body which resist the effect of disease. and bal is responsible for opposing the effect of disease. Here  “kaph”  present in its natural form in body is known as bal This bal is of three types.

Sahaj Bal :- It is present since birth.

Kalaj Bal:-It is affected by many factors such as seasons etc.

Yuktikrit:- This is the bal produced with the help of special measure such as food, medicines etc.  

According to modern medical science Immunity is a state of being protected from a disease.

It is of two types

(1) Innate immunity- It is immunity programmed in the DNA.

Some pathogen can not infect certain species, race or individual due to effect of this immunity.

(2) Aquired immunity- The immunity developed after birth is called acquired immunity.

Types of Innate immunity

  1. Species- e.g., dogs have natural immunity against measles. 
  2. Racial- e.g., in South Africa people are resistant to malaria infection due to sickle cell trait.

(iii) Individual- e.g., two children of same parents are not equally immune to disease.

Types of Aquired immunity:-

  1. Active immunity-
  2. Passive immunity

Active immunity- It is the immunity which an individual develops as a result of infection or by specific immunization and is usually associated with presence of antibodies or cells having a specific action on the microorganism concerned with a particular infectious disease or on its toxin.

(a) Natural- Develops due to natural infection.

(b) Artificial- Develops by vaccination.

Passive immunity- When antibodies produced in one body (human or animal) are transferred to another to induce protection against disease.

(a) Natural- By transfer of maternal antibodies across placenta or human milk.

(b) Artificial- By administration of an antibody prepared by artificial technique e.g., immunoglobulin or antiseru

 

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