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Shastra Karm

What is Shastra karm:-

Shastra Karm or surgical procedure is procedure performed to cure disease with surgical management. According to Acharya Charak kartavyasya kriya karm and kriya is the procedure to perform a specific work. So shastra karm is a very unique feature of ayurveda but it was not performed in an organised manner because of lack of knowledge and skills.

According to Sushrut Shastra karm is of 8 types.

  1. Chedan
  2. Bhedan
  3. Lekhan
  4. Eshan
  5. Aharan
  6. Vistravan
  7. Seevan

It is explained in 5th chapter of sutra sthan. This Chapter is known as Agropaharneey Adhyaay. There are basically three types of karm according to Acharya Sushrut i.e. Poorv Karm , Pradhan Karm and Paschat Karm.

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What are these 8 shastra karma

आचार्य सुश्रुत के मत से तीन प्राकार के कर्म होते है। पूर्व कर्म, प्रधान कर्म और पश्चात कर्म। शल्य क्रिया की दृष्टि से शस्त्र कर्म के 8 भेद बताए गए है।

इन आठ भेदों का वर्णन सूत्र स्थान के 5 वे अध्याय जिसका नाम “अग्रोपहरणीय” अध्याय में मिलता है।

ये 8 कर्म है:-

  1. छेदन
  2. भेदन
  3. लेखन
  4. वेधन
  5. एशण
  6. आहरण
  7. विस्त्रावण
  8. सीवन

शस्त्र कर्मों का वर्णन मुख्य रूप से शल्य शास्त्र के परिप्रेक्ष्य में आता  है। आधुनिक समय में शल्य शास्त्र को surgery के नाम से जानते है। आचार्य सुश्रुत  शल्य तंत्र के सबसे प्रधान आचार्य माने जाते है। ये धनवंतरि सम्प्रदाय के आचार्य है। सुश्रुत संहिता के सूत्र स्थान के पहले अध्याय के अनुसार काशिराज दिवोदास धनवंतरि के 7 शिष्य थे जिनके नाम सुश्रुत, औपधेनव, औरभ्र, पौशकलावत, वैतरण करवीर्य और गोपुररक्षित था। इन सभी ने अपनी अपनी संहिताओं का निर्माण किया। जिस प्रकार चरक संहिता चिकित्सा के क्षेत्र में सर्व सर्वश्रेष्ठ  मानी जाती है उसी प्रकार शल्य यानी surgery के लिए सुश्रुत संहिता को श्रेष्ठ माना जाता है। इस संहिता में मूल रूप से  कुल 5 स्थान है।

सूत्र स्थान

निदान स्थान 

शारीर स्थान 

चिकित्सा स्थान 

कल्प स्थान  

बाद में नागार्जुन ने इसमें उत्तर तंत्र जोड़ा है जिसमें कुल 66 अध्याय है।

सुश्रुत संहिता के सूत्र स्थान के 5वें अध्याय जिसका नाम अग्रोपहरणीय  अध्याय है में कर्म की परिभाषा बताते हुए आचार्य ने इसे तीन प्रकार का बताया है।

पूर्व कर्म 

प्रधान कर्म 

पश्चात कर्म 

हालाँकि सुश्रुत संहिता शल्य प्रधान ग्रंथ है इसलिए आचार्य ने सबसे पहले शस्त्र कर्म का वर्णन किया है और इसके 8 भेद बताए हैं। 

आचार्य के अनुसार इन 8 कर्मों में से किसी कर्म की इच्छा रखने वाले वैद्य को पहले सारी तैयारियाँ कर लेनी चाहिए फिर अपने कार्य के लिए उद्यत होना चाहिए।

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Who is eligible to perform Shastra Karma in Ayurved.

An M.S. degree holder can perform theses shastra karma and National Institute of Ayurveda is one of top institutes providing M.S. degree in Ayurveda.

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https://www.nia.nic.in