मोटापा (Obesity)
मोटापा (obesity) वर्तमान काल की सबसे विशाल विकराल समस्या के रूप में परिणत हो चुका है। मज़ेदार बात ये है कि इसका कारण और समाधान सबको पता है फिर भी निराकरण कठिन प्रतीत होता है। इसका सबसे बड़ा कारण यदि खोजने का प्रयास किया जाएगा तो निश्चित ही मन की चंचलता को पहला स्थान मिलेगा।
चिकित्सालयों में जब कोई रोगी आता है तो उसका उद्देश स्पष्ट होता है। उसे अपने मोटापे की समस्या का स्थायी समाधान चिकित्सक से प्राप्त करना होता है।चिकित्सक भी भली प्रकार से समाधान जानता है और वो अपने रोगी को समाधान बताता भी है। फिर ऐसा क्या होता है कि चिकित्सक और रोगी दोनों को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती।
आयुर्वेद के अनुसार मोटापा (Obesity)
इसका समाधान भी हमेशा की तरह आयुर्वेद में ही वर्णित है। इसके लिए हमें सबसे पहले यह जानना होगा की आख़िर रोग क्यों होता है और मोटापे के इतने भयावह स्वरूप प्राप्त करने के पीछे मूल कारण क्या है। आधुनिक विज्ञान मोटापे की घोषणा लक्षणों के आधार पर ना कर के अंकों के आधार पर करता है। अनेक प्रकार के इंडेक्स प्रचलन में लाए जाते है। BMI ऐसा ही एक सर्व मान्य इंडेक्स है जो यह निर्धारित करता है कि अमुक व्यक्ति मोटा है या नहीं। परंतु इसी से काम नहीं चलता है।
कई बार ऐस देखा गया है की व्यक्ति का वजन ज़्यादा होता है परंतु लाक्षणिक रूप से उसे ऐसा लगता है की वो सामान्य है। अतः ऐसी स्थिति में आयुर्वेद मतानुसार स्थौल्य और कार्श्य वर्णन पर दृष्टि पात आवश्यक हो जाता है।
यही नहीं हर रोगी जो चिकित्सक के पास स्थौल्य के निराकरण हेतु उपस्थित होता है उसे एक ऐसी गोली चाहिए होती है जिसका सेवन कर के उसे छरहरी काया प्राप्त हो जाए। हां इसमें एक शर्त भी समाहित होती है जिसका समाधान चिकित्सक के पास निश्चित रूप से नहीं होता है। यह शर्त होती है भोजन की पाबंदियों के बिना मोटापा काम करने की।
यही वो स्थिति है जिसके कारण मोटापे के रोगियों की चिकित्सा में रोगी और चिकित्सक दोनो ही विफल साबित होते है। इस आलेख के साथ संलग्न विडीओ में मोटापे के कुछ सामान्य कारणों का विवेचन किया गया है और उनके आयुर्वेदीय पक्ष पर भी प्रकाश डाला गया है।
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