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Vay Vargeekaran (वय वर्गीकरण)

वय वर्गीकरण (Vay Vargeekaran) क्या है?

वय वर्गीकरण (Vay Vargeekaran)  का अर्थ है आयु की विभिन्न अवस्थाओं का वर्गीकरण। मनुष्य के जीवन की मूल रूप से चार अवस्थाएँ मानी जा सकती हैं। बाल्यावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था ।आयुर्वेद के मतानुसार वय की विभिन्न अवस्थाओं को उनके लक्षणों के आधार पर विभाजित किया जाता है। इस संदर्भ में विभिन्न आचार्यों का मत भिन्न भिन्न है।

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विभिन्न आचार्यों के मत से वय वर्गीकरण (Vay Vargeekaran) 

मूलतः यदि देखा जाए तो वय वर्गीकरण के संदर्भ में आचार्य चरक, सुश्रुत, वागभट्ट और काश्यप के मत ही प्रचलित है। विद्यार्थियों की सुविधा की दृष्टि से इन सभी का एक तुलनात्मक विवेचन किया जा रहा है। 

आचार्य  चरक के मत से वय वर्गीकरण 

आचार्य चरक ने मनुष्य के जीवन काल को तीन अवस्थाओं में बता है।

  1. बाल 
  2. मध्य 
  3. जीर्ण

इस मत के अनुसार जन्म से 16 वर्ष तक की अवस्था तक को बालावस्था माना जाता है। इस अवस्था में धातुएँ अपरिपक्व होती है और शरीर के क्लेश सहने की क्षमता कम होती है। इस अवस्था में शरीर की विभिन्न धातुएँ अपनी वृद्धि कर रही होती है। क्योकी धातुओं की वृद्धि की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई रहती है इसलिए सत्व सामान्यतया  अनवस्थित माना जाता है।

मध्यावस्था :-

यह अवस्था 16 वर्ष की आयु से आरम्भ हो कर 60 वर्ष तक रहती है।

जीर्णावस्था:-

इस अवस्था का काल आचार्य चरक के मत से 100 वर्ष तक का माना गया है।

वय वर्गीकरण (Vay Vargeekaran) के संदर्भ में आचार्य सुश्रुत का मत :-

आचार्य सुश्रुत ने पहले वय की तीन अवस्थाए बतायी है और इनके भी अलग अलग भेद किए है।

बालावस्था-

क्षीरप 

क्षीरन्नाद 

अन्नाद 

मध्यावस्था 

यौवन 

सम्पूर्णता 

हानि 

वृद्धावस्था  

आचार्य सुश्रुत ने बालावस्था की अवधि 1 वर्ष से 16 वर्ष तक मानी है। 1 वर्ष से कम आयु के बालक को आचार्य ने क्षीरप की संज्ञा दी है और 1 वर्ष से अधिक परंतु 2 वर्ष से कम के बालक को क्षीरान्नाद से सम्बोधित किया है। 2 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक की अवस्था को आचार्य अन्नाद मानते है। मध्यावस्था को भी आचार्य ने चार विभाजन किए है। 16 वर्ष से 20 वर्ष तक की अवस्था को वृद्धि और 20 वर्ष से 30 वर्ष तक की अवस्था को यौवन के रूप में विभाजन किया गया है। 30 वर्ष से लेकर 40 वर्ष तक का जीवन काल आचार्य ने सम्पूर्णता के रूप में प्रतिपादित किया है। इसी प्रकार 40 से 70 वर्ष तक की अवस्था हानि की अवस्था मानी गयी है। आचार्य सुश्रुत वृद्धावस्था  की अवधि 70 वर्ष से मृत्यु पर्यंत मानते है।

वय वर्गीकरण (Vay Vargeekaran)  के संदर्भ में आचार्य वागभट्ट  का मत 

वागभट्ट के रूप में आयुर्वेद में दो ग्रंथकार हुए है, अष्टांग सांग्रह की रचना करने वाले वृद्ध वागभट्ट और अष्टांग हृदय की रचना करने वाले लघु वागभट्ट। दोनो ही आचार्यों का वय वर्गीकरण के संदर्भ में मत लगभग एक सा ही है। दोनो ही आचार्य वय को तीन अवस्थाओं यथा बालावस्था, मध्यावस्था और वृद्धावस्था में बाटते है। अंतर सिर्फ़ इतना है की अष्टांग संग्रह के मत से मध्यावस्थता 16 से 60 वर्ष और वृद्धावस्था  60 से मृत्यु पर्यंत होती है जबकी अष्टांग हृदय का यहाँ मत भिन्न हो जाता है। अष्टांग हृदय के मत से मध्यावस्था 16 से 70 वर्ष और वृद्धावस्था  70 से मृत्यु  पर्यंत मानी गयी है। 

अष्टांग संग्रह के मत से वय वर्गीकरण (Vay Vargeekaran) 

बालावस्था  – जन्म से 16 वर्ष

मध्यावस्था  – 16 से 60 वर्ष

वृद्धावस्था –   60 वर्ष से मृत्यु पर्यंत

अष्टांग हृदय के मत से वय वर्गीकरण (Vay Vargeekaran) 

बालावस्था  – जन्म से 16 वर्ष

मध्यावस्था  -16 से 70 वर्ष

वृद्धावस्था    – 70 वर्ष से मृत्यु पर्यंत

काश्यप संहिता के मत से वय वर्गीकरण (Vay Vargeekaran) 

काश्यप ने वय के वर्गीकरण को दो बार परिभासित किया है। काश्यप के मत से प्रथम वय को लती वर्गों में बाँटा जाता है गर्भावस्था, बाल्यावस्था और कौमार्यावस्था। इसके पश्चात वय के तीन विभाग और किए गए जो की यौवन, मध्यमावस्था और वृद्धावस्था है। इनके विस्तृत विभाग नीचे दिए गए विवरण से आसानी से समझे जा सकते है।

गर्भावस्था[1] जन्म तक 

बाल्यावस्था जन्म से 1 वर्ष तक 

कौमार्यावस्था 1 वर्ष से 16 वर्ष तक 

यौवन 16 वर्ष से 34 वर्ष तक 

मध्यमावस्था 34 वर्ष से 70 वर्ष तक 

वृद्धावस्था 70 वर्ष से मृत्यु तक 

वय वर्गीकरण के संदर्भ में हारीत  संहिता  का मत:-

बालावस्था  – जन्म से 16 वर्ष

युवावस्था –    16 से 25 वर्ष

मध्यावस्था  – 25 से 70 वर्ष

वृद्धावस्था –   70 वर्ष से मृत्यु पर्यंत

बाला       5 वर्ष तक 

मुग्धा        6 से 11 वर्ष तक 

बाला       1वर्ष से 16 वर्ष तक 

मुग्धा      16 वर्ष से 34 वर्ष तक 

प्रौढ़ा      34 वर्ष से 70 वर्ष तक 

प्रगल्भा      70 वर्ष से मृत्यु तक 

वय वर्गीकरण के संदर्भ में भाव प्रकाश  का मत:-

बाल      16 वर्ष 

तरुणी        16 – 32 वर्ष 

प्रौढ़ा     32 – 50 वर्ष 

वृद्धा     50 वर्ष 

 पाराशर स्मृति

  • अष्ट वर्षे भवेत गौरी
  • 9 वर्ष – रोहिणी 
  • 10 वर्ष – कन्या 
  • 10 वर्ष से अधिक – रजस्वला 

Modern –

Prenatal 

Ovum – 9-14th day 

Embryo -14th day to 9th week 

Foetus – 9th week to birth 

Postnatal 

Neonate- 1st to 4th week 

Infant – 1st year

Toddler – 1 -3 year

Pre school – 3- 6 year

Reference:-

Charak Sanhita, https://niimh.nic.in/#/home

 

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