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Srotas and their mool

क्या है स्रोतस

स्त्रोतस (Srotas ) का वर्णन मुख्य रूप से चरक संहिता में मिलता है। चरक संहिता के विमान स्थान में स्त्रोतोविमानीय के नाम से एक पूरा अध्याय ही वर्णित है। 

स्त्रोतस (Srotas ) का अभिप्राय क्या है?

यावन्तः पुरुषे मूर्तिमन्तो भावविशेषास्तावन्त एवास्मिन् स्रोतसां प्रकारविशेषाः

स्त्रोतस शब्द का शाब्दिक अर्थ है मार्ग। स्त्रोतस के माध्यम से ही परिणाम प्राप्त धातुओं का वहन होता है। आचार्य चरक के अनुसार बहुत सारे स्त्रोतसों का समुदाय ही पुरुष है। 

अपि चैके स्रोतसामेव समुदयं पुरुषमिच्छन्ति सर्वगतत्वात् सर्वसरत्वाच्च 

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चरक के अनुसार स्त्रोतस

आचार्य के मत से जिस प्रकार सूत्रों के समुदाय को वस्त्र कहते हैं उसी प्रकार धातुओं  को वहाँ करने वाले इन स्त्रोतसों के समुदाय को पुरुष कहा जाता है। इसके बाद के श्लोक में आचार्य चरक ने स्त्रोतस के विभिन्न भेदों का उल्लेख किया है। उनके मत से कुल 13 प्रकार के स्त्रोतस होते हैं।इसी के साथ यदि गर्भ [2] के प्रकरण में वर्णित अर्तव वह स्त्रोतस को भी जोड़ दिया जाए तो इन स्त्रोतसों की कुल संख्या 14 हो जाती है. इसी विषय में आचार्य सुश्रुत का मत 11 प्रकार के स्त्रोतसों का वर्णन करता .

विभिन्न अचार्यों के अनुसार स्त्रोतस

Name of strotas Srotas Mool
According to Charak According to Sushrut
Praan vah Hriday and Mahastrotas Hriday and Rasvaahee dhamnee
Udak vah taalu and klom not explained
Anna vah aamaashay and Vaam Parshva Aamaashay and Annvaahee Dhamnee
Ras Vah Hriday And 10 Dhamnee Hriday and ras vahee Dhamnee
Rakt Vah Yakrit and Pleehaa Yakrit and Pleehaa, Raktvahee Dhamnee
Mans Vah Snayu and Twachaa Snayu and Twachaa, Rakt Vahee Dhamnee
Med Vah Vrikka and Vapa Vahan Vrikka and Kati
Asthi Vah Meda and Jaghan Not explained
Majja Vah Asthi and Sandhi Not explained
Shukra Vah Vrishan and Shef Vrishan and Stan
Mootra Vah Vasti and Vankshan Vasti and Medhra
Pureesh Vah Pakwaashay and sthool gud Pakwaashay and gud
Swed Vah Meda and Lom Koop Not explained
Artav Vah Not explained Garbhaashay and Artav Vah Dhamnee
  • चरक [1] ने आर्तव वह स्त्रोतस का वर्णन नहीं किया है।
  • सुश्रुत ने उदक वह, मेद  वह, अस्थिवह, स्वेद वह स्त्रोतस का वर्णन  नहीं किया है।
  • चरक ने अंतर्मुखी स्त्रोतस 13 माने है।
  • काश्यप ने स्त्रोटस के 2 भेद माने है- महन्त और सूक्ष्म। महंत स्त्रोतस 9 पुरुषों में और 12 स्त्रियों में होते है।सूक्ष्म स्त्रोटस नाभि और रोम कूप होते है।
  • शारंगधर ने बहिर्मुख स्त्रोतस पुरुषों में 10(9+ ब्रह्म रंध्र) माना है। स्त्रियों में 13(12+ ब्रह्म रंध्र माना है)
  • सुश्रुत ने 9 स्त्रोतस माने है 7 ऊर्ध्व  और 2 अध:। स्त्रियों में 12 स्त्रोतस (9+ 2 स्तन और 1 आर्तव  वह) माने हैं।
  • योगवाही या बहिर्मुख स्त्रोतस सुश्रुत ने 22 माने हैं।