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सही गिलोय की पहचान कैसे करें

सही गिलोय की पहचान क्या है।

गिलोय [1]एक आसानी से मिलने वाली बेल है। यह हमारे घर के आस पास बहुतायत में मिल जाती है। लेकिन इसके आयुर्वेद में अनेक चमत्कारिक औषधीय उपयोग वर्णित है। आज के समय में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना एक अत्यंत आवश्यक आवश्यकता बन गयी है। इसमें गिलोय एक महत्वपूर्ण साझी के रूप में प्रयोग की जा सकती है। लेकिन गिलोय के जैसे ही अनेक लताएँ हमारे आस पास मिल जाती हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है की असली गिलोय का उपयोग किया जाए।

हालाँकि बाज़ार में गिलोय के टैब्लेट और पाउडर भी उपलब्ध हैं लेकिन ताजी गिलोय के जितना गुणकारी ये विकल्प सम्भवतः नहीं हो सकते हैं। इसलिए ताजी गिलोय की पहचान बहुत ज़रूरी है। क्योकी औषधी अगर ग़लत ली जाए तो भी अपेक्षित परिणाम नहीं पाए जा सकते हैं।आज इस लेख का उद्देश्य आपको सही गिलोय की पहचान और उसके उपयोग का तरीक़ा बताना है।

गिलोय क्या है?

यह एक बहुवर्षीय लता है जो दूसरे वृक्षों के ऊपर चढ़ती  है।  इसका तना मांसल होता है और इसकी शाखाओं से अनेक पतली धागे के समान जड़ें निकल कर लटकती हैं। इसकी त्वचा ऊपर की तरफ़ धूसर रंग की और बहुत  पतली झिल्ली की तरह होती है। इसको खुरच कर हटाने पर इसके नीचे चमकदार हरे रंग मांसल हिस्सा दिखाई देता है। छूने पर यह चिकना और लिसलिसा सा प्रतीत होता है।

इसके पत्ते हृदय के आकार के होते है जो इसके नामकरण से भी आसानी  से समझा जा सकता है । गिलोय के  फूल जब इसके पत्ते झड़ चुके होते है उस समय निकलते है। फूल छोटे, मंजरी में पाए जाते है जिनके रंग सफ़ेद या पीताभ होता है।फलों का आकार मटर के समान गोल और पकने पर गहरे लाल रंग का होता है। वर्षा ऋतु में फूल और फल शीतकाल में पाए जाते है।

 पहचान करने के लक्षण:

पहचानने के लिए गिलोय के तने को नाखून से हल्का सा खुरच देते है। ऊपर की धूसर हरे रंग की सतह को हटाने के बाद एक चमकीली हरे रंग की लिसलिसी सतह मिलती है जिसमें सफ़ेद रंग की छोटी छोटी बिंदियाँ दिखती हैं। इसके अलावा गिलोय का पत्ता दिल के आकार का होता है।

कैसे करें गिलोय का सही उपयोग :-

अंगूठे के बराबर मोटी और हथेली के बराबर लम्बी गिलोय की बेल को कूँच कर एक गिलास पानी में रात में भीगा दें। सुबह इस को मसल कर छान ले तथा ठंढा या उबाल कर जैसा आप को सुविधाजनक हो उपयोग करें।

अगर इसमें थोड़ा सा शहद मिला लिया जाए तो कड़वापन भी कम हो जाएगा और अधिक गुणकारी भी हो जाएगा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार होगी [2]

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिया गया वीडियो देखें:-

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